वैज्ञानिक नाम ( Scientific Name-Cuminum Cyminum)/ जीरक (संस्कृत नाम)
जीरा भारतीय भोजन में उपयोग होने वाला महत्वपूर्ण और उनका स्वाद और जायका बढ़ाने वाला मसाला है। जीरा सभी प्रकार के दाल-सब्जी, रायता, सूप, अचार और सलाद आदि में प्रयुक्त होता है। गर्मी में यह जलजीरा बनाने के काम आता है और जीरे का प्रयोग से बहुत तरह की आयुर्वेदिक औषधियों में भी बहुत मात्रा में किया जाता है। कई तरह की औषधि जीरे से बनती हैं।
जीरे की पैदावार के लिए अनुकूल तापमान खेती और जलवायु कुछ-कुछ जगहों पर होती हैं, सभी जगह नहीं मिलती है।
जीरे के प्रकार ( Types of Jeera)
जीरा तीन प्रकार के होते हैं- काला जीरा, सफेद जीरा और अरण्य यानि जंगली जीरा।
जीरा का उपयोग
भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए जीरे का उपयोग जरूरी होता है। भारत में विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके से इसका प्रयोग होता है। भारतीय रसोई की दाल और सब्जी जीरे के छौंक के बिना नहीं बनती। कई प्रकार के अचार बनाने में भी जीरे का इस्तेमाल होता है।
जीरे की तासीर गर्म होती है और यह वायु नाशक पेट के लिए भूख बढ़ाने वाला और हाजमें को ठीक करने वाला होता है।
- जीरा एक अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट है। जीरे के इसके औषधीय गुण सूजन कम करने और मांसपेशियों (muscles) को आराम पहुंचाने में कारगर होते हैं।
- जीरा में फाइबर की प्रचुर मात्रा मौजूद होती है। साथ ही जीरा आयरन, कौपर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैगजीन, जिंक और मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत है।
- जीरा में विटामिन ई, ए, सी और बी- काम्प्लेक्स की भी अच्छी मात्रा मौजूद होती है।
- पेट या पाचन संबंधित रोगों में जीरा रामबाण सदृश होता है। पेट दर्द, अपच, खट्टी डकारें आने या कब्ज की समस्या में जीरा लाभकारी होता है।
उपरोक्त समस्या होने पर 500 मिली पानी में 50-60 ग्राम जीरा डालकर गर्म करें और काढ़ा बना लें। जब यह आधा रह जाए तो इस काढ़े में काली मिर्च पाउडर (black Pepper) और नमक मिलाकर पीने से राहत मिलती है।
- अतिसार (diarrhea), ग्रहणी विकार भी जीरा लाभकारी होता है। पेट संबंधी रोगों में जीरा अति उपयोगी है। (ग्रहणी- Irritable Bowel Syndrome IBS)
- स्टूल (Stool) में कीड़े होते हो तो भी जीरे का उपयोग में मारने में किया जाता है। पाचन शक्ति कमजोर होने या दस्त होने पर जीरे का उपयोग किया जाता है। भोजन के पाचन संबंधी मुश्किलों में भी जीरे का प्रयोग होता है।
- बच्चेदानी (Uterous) संबंधित बीमारियों में शारीरिक कमजोरी बढ़ने पर, आंखों में खारिश होने और लाली रहने पर और खाने का मन नहीं करे इसमें जीरा बहुत ही उपयोगी होता है इसके सेवन से इन सभी लोगों ने लाभ होता है
- यदि पेट की अग्नि कम हो गए हो भोजन पचने में परेशानी हो तो, भोजन करने से पहले जलजीरा पीने से थोड़ी देर बाद पेट ठीक हो जाएगी और पाचन शक्ति बढ़ेगी।
- जिन लोगों को नई या पुरानी संग्रहणी (IBS) का रोग होती है। खाया पिया शरीर में नहीं लगता या हजम (digest) नहीं होताहै। वैसे रोगी को जीरे के लड्डू खिलाने चाहिए। 40 दिनों तक ऐसा करने पर बहुत लाभ होगा।
- दस्त में लाभकारी जीरा-शहद का पानी-
-जैसे दस्त होने पर जीरा लाभकारी होता है भुने जीरे का बारीक चूर्ण शहद में मिलाकर, दस्त के रोगी को हर 4 घंटे बाद खाने को दें।
-गाय के दूध या बकरी के दूध से बने छाछ में भुना बारीक चूर्ण काले नमक के साथ रोगी को दें, इससे भी दस्त में लाभ होता है।
- यदि कई दिनों से बुखार आ रहा हूं तो इसमें भी जीरा लाभकारी होता है। सफेद जीरे को दरदरा पीसकर 500 ग्राम पानी में मिलाकर पिये, पुराना बुखार ठीक हो जाएगा।
- मुहं मे छाले होने पर – जीरे के पानी और छोटी इलायची का चूर्ण फिटकरी के फूलों से मिलाकर कुल्ले करने से मुंह के छालों में आराम होगा।
- यदि मकड़ी का विष चढ़ जाए तो जीरा और सोंठ को पानी को पीसकर लगाएं।
- शरीर को स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट रखने के लिए जीरे की चाय बनाकर सुबह शाम की चाय पत्ती की जगह पिसा जीरा प्रयोग करें।
- चेहरे पर धब्बे झाइयां पड़ गई हो, तो जीरे का उपयोग करके इसे ठीक किया जा सकता है। सफेद और काला जीरा, काला तिल और सरसों बराबर मात्रा में दूध में पीसकर लेप लगाने से लाभ होता है।
- जीरा में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा को कील-मुहांसों से बचाते हैं और इसमें मौजूद फाइबर शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता है।
- जीरे के नियमित सेवन हड्डी मजबूत होती है और औस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है। क्योंकि जीरा में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम और विटामिन ए और बी काम्प्लेक्स होता है।
- जीरा मोटापा (Obesity), मधुमेह (diabetes), आस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis), हृदय रोग ( Heart Disease) आदि रोगों में लाभदायक होता है।
- बच्चों को पेट दर्द होने पर पानी में जीरा और अजवाइन उबाल कर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाने पर। आराम होता है।
- जीरे का तेल खुजली और चर्म रोग आदि में रामबाण का काम करता है। जीरे के तेल से नियमित मालिश करने से चर्म रोग दूर होता है।
- जीरे का नियमित प्रयोग खाने के साथ दाल और सब्जी में लगातार करने से कई रोग अपने आप ही नियंत्रित हो जाते हैं।
- जीरे का अवलेह (हलवा) खाने से प्रदर, निर्बलता सांस संबंधी बीमारियों प्रमेह (Gonorrhoea), ज्वर (fever), हृदय में जलन (Heartburn) आदि में लाभ होते हैं।
- जीरा को खाने से पाचन शक्ति में सुधार होता है। इसमें डायट्री फाइबर प्रचुर होता है। प्रदर (Leucorrhoea) रोग की वजह से हाथों, पैरों आंखों की जलन जीरे की खीर खाने से ठीक होती है।
- रतौंधी में भी जीरा अत्यंत लाभदायक है। जीरा, कपास और आंवले के पत्ते बराबर लेकर पानी में पीस लें। इस मिश्रण को इक्कीस दिन नियमित सिर पर बांधने से रतौंधी में बहुत फायदा होता है।
- बुखार या जीर्ण ज्वर (Chronic fever) होने पर जीरा अचूक दवा होता है।
- गुड़ 500 ग्राम, 750 लीटर पानी में पकाएं। इस घोल की तीन तार की चाशनी तैयार करें और इसमें 200 ग्राम भूनें जीरे का चूर्ण मिला लें। अच्छी तरह मिलाकर 2-2 ग्राम की गोलियां बनाकर प्रति दिन सुबह-शाम गोलियां ले लाभ होगा।
- गाय के दूध में जीरे को अच्छी तरह पकाकर सूखा लें। सूखने पर चूर्ण बना लें। इसे प्रतिदिन शक्कर या मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन लें।
- जीरा पोटैशियम और आयरन का अच्छा स्रोत है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाने में मदद करता है। इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होता है।
- मंदाग्नि (Indigestion, lack of appetite) की शिकायत होने पर भोजन के साथ जलजीरा लें। इससे भूख भी बढ़ेगी और मंदाग्नि भी खत्म होगी।
- अनिद्रा की शिकायत होने पर पके केले के साथ भुने जीरे के सेवन से लाभ होता है।
- पेट में आंव होने पर, संग्रहनी ,या डायरिया (Diarrhoea) पेट के रोगों में और खाने में अरुचि होने आदि शिकायत पर जीरे की लड्डू बनाकर सेवन से बहुत लाभ होता है।
- जीरा पानी में थायमोक्विनोन नामक रासायनिक यौगिक होता है, जो सूजन से लीवर की रक्षा करता है। जीरा गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से मोटापा और पेट दर्द में भी लाभकारी होता है।
- जीरा के पानी का नींबू के रस के साथ सेवन से मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह मोटापा और कालेस्ट्राल कम करता है।
- प्रेग्नेंसी के बाद स्त्रियों को जीरा का हलवा मेवे के साथ या भूनें जीरे गर्म दूध और शहद के साथ खाने से आयरन- कैल्शियम की कमी दूर होती है और ताकत भी मिलती है।
- एनीमिया की शिकायत होने पर भी जीरे का सेवन फायदेमंद होता है।
- आंखों में लाली आने, सूजन आने और कीचड़ निकलने की शिकायत होने पर जीरे से इलाज किया जा सकता है।
6 ग्राम जीरा हथेली पर मसलकर साफ करें। मलमल की साफ सफेद कपड़ें की पोटली बनाकर रखें। इस पोटली को एक कप पानी में भिगों लें। जीरे पानी की पोटली निचोड़कर आंखों को सेंके। 5-5 मिनट के लिए हर घंटे दोहरा करें, लाभ होगा।
अगले अंक में पढ़ें- जीरे के लड्डू बनाने का तरीका, जीरे का खीर बनाने का तरीका, जीरे की गोली बनाने की विधि, जीरे का चूर्ण, जीरे की चाय बनाने की विधि, जीरे की हेल्दी चटनी (अवलेह) और जीरे का पाक बनाने की विधि।
जय हिंद