किसान नेता राकेश टिकैत आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे उन किसान नेताओं में शुमार रखते हैं, जो किसानो के व्यवहारिक हित की बात रखते हैं और किसान हित के लिए खड़े भी होते हैं। राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। इनका संगठन बीकेयू, उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत में काफी सक्रिय संगठन है।
1987 में महेन्द्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में बिजली के बढ़े दाम को लेकर किसानों ने शामली के करमुखेड़ी, यूपी में आंदोलन किया। आंदोलन में पुलिस की गोली से दो किसानों की मौत हो गई। इस बाद 1987 में भारतीय किसान यूनियन की नींव रखी गई।
राकेश टिकैत पूर्व किसान स्वर्गीय नेता महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे बेटे हैं। इनके बड़े भाई नरेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। राकेश टिकैत का जन्म 4 जून, 1969 मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव, उत्तर प्रदेश में हुआ था। राकेश टिकैत की शादी 1985 में बागपत के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई थी इनके एक पुत्र और दो पुत्री हैं।
टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एम.ए.(MA) की पढ़ाई करने के बाद एल.एल.बी.(LLB) की डिग्री ली। 1985-1992 तक टिकैत दिल्ली पुलिस सेवा मे कार्यरत रहे।1993-94 में राकेश टिकैत ने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर और अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत द्वारा संचालित आंदोलन से जुड़ गए।
राकेश टिकैत के पिता बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत ने दिल्ली के लाल किले पर डंकल प्रस्ताव के विरुद्ध आंदोलन चलाया था। नौकरी से इस्तीफे के बाद राकेश अपने पिता के साथ सक्रियता से किसानों के लिए काम करना शुरू किया।1997 में राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने।
मई, 2011 पिता बाबा टिकैत की मृत्यु के उपरांत, बाबा टिकैत के बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया। गया। राकेश टिकैत को कुशल संगठन संचालन, वाकपटुता और व्यवहारिक सोच और क्षमता के आधार पर उन्हें भारतीय किसान यूनियन का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया ।
राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाने को उतरे। 2007 में वो मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट (निर्दलीय) चुनाव लड़े और 2014 में अमरोहा, लोकसभा सीट (राष्ट्रीय लोक दल पार्टी) का चुनाव भी लड़ा था। किन्तु दोनों चुनाव में इन्हें हार का सामना करना पड़ा।
राकेश टिकैत अब तक 44 बार किसान हित में लड़ते हुए जेल गए हैं। भूमि अधिग्रहण कानून के विरुद्ध आवाज़ उठाने पर मध्यप्रदेश में उन्हें जेल भेजा (39 दिन) गया। संसद भवन, दिल्ली के बाहर गन्ना मूल्य वृद्धि के लिए प्रदर्शन के लिए टिकैत को तिहाड़ जेल जाना पड़ा। राजस्थान में बाजरे की मूल्य वृद्धि के प्रदर्शन हेतु टिकैत को जयपुर जेल जाना पड़ा था।
फिलहाल राकेश टिकैत भारत सरकार के 2020 में लाए कृषि कानून के विरुद्ध गाजीपुर बौर्डर पर धरना प्रदर्शन कर किसानों और अन्य किसान संगठनों का साथ दें रहें है। कृषि कानूनों की वापसी के लिए पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, यूपी, उत्तराखंड और अन्य राज्यों के किसानों ने किसान आंदोलन छेड़ा। सरकार और किसान दोनों की अनवरत बातचीत, बैठक का कोई निष्कर्ष नही आया।
किसानों ने सर्वसम्मति से गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2020) को ट्रैक्टर रैली निकाला। कुछ शरारती तत्वों ने किसानों की आंदोलन को बदनाम करने के लिए लाल किले पर निशान साहिब का झंडा लगा दिया। परिणामस्वरूप, किसान आंदोलन को झटका लगा, आंदोलन के प्रति जनता में गलत सूचना पहुंची। यूपी सरकार ने अर्धसैनिक बल आंदोलन की जगह भेजा, आंदोलनकारीयों को हटाने के लिए। किन्तु राकेश टिकैत ने भावुक हो कर किसानों को संदेश दिया और उनके एक भावनात्मक संदेश ने तितर -बितर होते आंदोलन में जान फूंक दी। दुगने उत्साह से किसान आंदोलन में उमड़ पड़े।
किसान आंदोलन का भविष्य क्या होगा, यह किसी को नहीं पता। किन्तु किसान नेता के रूप में राकेश टिकैत को इतिहास सर्वथा याद रखेगा।
जय हिंद ।।